हाथरस केस में मीडिया की झूठी पत्रकारिता तीन लड़कों का जीवन तबाह कर गई।

जब हाथरस में गैंगरेप का आरोप लगा था, तभी से हमें पता था कि लड़की मरते समय भी वामपंथियों के प्रभाव में झूठ बोल रही है। फॉरेंसिक रिपोर्ट भी आ गई थी, कोई रेप नहीं था। फिर मीडिया के दबाव में आ कर प्रशासन को जबरन ‘गैंगरेप’ को आरंभ बिंदु मान कर कार्रवाई करनी पड़ी। 
सत्य सामने है ,ठाकुर पुत्र का ठाकुर पिता खेत में धान काट रहे थे। रोते हुए कह ते थे ,कि हम काहे के ठाकुर, बेटा जेल में है और हम रोजी चलाने के लिए खेत में काम कर रहे हैं।
यही हालत हर सवर्ण की है, हर ठाकुर घोड़े पर तलवार लिए नहीं घूम रहा। मीडिया सवर्णों को क्रूर, निर्दयी दिखाना चाहती है। क्या मीडिया संदीप समेत बाकी चार युवकों को उनके ढाई वर्ष लौटाएगी? 
क्या उन्हें बलात्कारी कह कर चिल्लाने वाली मीडिया उन्हें मानसिक प्रताड़ना से मुक्त कर पाएगी?

हमें इस भेदभाव को ले कर स्वर उठाना चाहिए। आप उस माता-पिता के बारे मे सोचिए जिनके बच्चे को बलात्कारी बता दिया गया था । #Hathras

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